जनवरी 2010 से इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च
के साथ निम्नलिखित नवीन खण्ड (सेक्शन) सम्मिलित किए जा रहे हैं :
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परिदृश्य/व्यक्तिगत विचार/विचार बिन्दु
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क्रमबद्ध समीक्षाएं (मेटा-एनालिसिस सहित)
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स्टूडेण्ट आई जे एम आर
परिदृश्य/व्यक्तिगत विचार/विचार बिन्दु
ये मुख्यतया वरिष्ठ छात्रों, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं
द्वारा लिखित वैचारिक अंश होते हैं। ऐसे शोध पत्र मात्र एक लेखक द्वारा तैयार किए गए
हों। नाम रहित कोई भी लेख प्रकाशित नहीं किए जाएंगे। वे लगभग
1000-1500 शब्दों के होने चाहिए और संदर्भ सूची
दी जा सकती है। सुझाए गए (कमीशंड) लेखों को छोड़कर सभी शोध पत्र पीयर रिव्यू के बाद
ही प्रकाशित किए जाएंगे।
क्रमबद्ध समीक्षा (मेटा-एनालिसिस सहित)
इस खण्ड के अन्तर्गत शोध पत्र चिकित्सीय/जनस्वास्थ्य
महत्व के महत्वपूर्ण विषयों पर संपन्न विभिन्न अध्ययनों का समीक्षात्मक मूल्यांकन होंगे
जिससे एक पारिभाषित परिणाम के लिए एक इंटरवेंशन अथवा वैरिएबल के संपूर्ण प्रभाव का
एक पक्षपात रहित गुणात्मक आकलन किया जा सके। शोध पत्र कारण,
निदान, पूर्वानुमान,
चिकित्सा, निवारण,
आदि पर केन्द्रित होंगे। ये पूर्णतया शोधपरक लेख होंगे जिसके अंतर्गत बृहत एवं संतुलित
सापेक्ष महत्व होंगे। लेख के साथ एक तैयार किया गया एबस्ट्रैक्ट होना चाहिए। समीक्षा
लगभग 2500-3000 शब्दों की हो सकती है जिसमें कम से कम
सारणी और चित्र हो । उनका प्रकाशन पीयर रिव्यू के बाद किया जाएगा।
स्टूडेण्ट आई जे एम आर
आयुर्विज्ञान अनुसंधान में छात्रों की
भागीदारी को प्रोत्साहित करने और उन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य से केवल मेडिकल छात्रों
के लिए इस नवीन खण्ड की शुरुआत की जा रही है । इस खण्ड में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक विकास
से जुड़ी रिपोर्ट्स भी सम्मिलित की जाएंगी जो रोगी की देख-भाल,
जन स्वास्थ्य और/अथवा कैरियर प्रगति के लिए प्रभावी होगा। इस खण्ड में छात्रों द्वारा
संपन्न ऐसे शोध के एबस्ट्रेक्ट को भी सम्मिलित किया जा सकता है जिसे आई सी एम आर की
शॉर्ट टर्म स्टूडेण्टशिप, डी एस टी की किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन
योजना आदि के अंतर्गत किया गया हो। ऐसे शोध पत्र 1000
शब्द से अधिक नहीं होंगे। इस खण्ड में सभी सामग्री पीयर रिव्यू के पश्चात प्रकाशित
की जाएगी।
जनवरी 2004
से इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में निम्नलिखित नवीन खण्डों/मदों के
प्रकाशन की शुरुआत की गई है।
1. रिव्यूज़ :
पहले आई जे एम आर में रिव्यूज़ का प्रकाशन कभी-कभी किया जाता था। जनवरी
2004 से हम प्रत्येक माह एक रिव्यू प्रकाशित
करने की आशा करते हैं। जो भी जैव-आयुर्विज्ञान अनुसंधान के किसी भी पहलू में अनुभव
और विशेषज्ञता रखता हो वह उपयुक्त रिव्यू शोध पत्रों को प्रस्तुत कर सकता है अथवा एक
रिव्यू लिखने के एक प्रस्ताव के साथ मार्गदर्शन हेतु सम्पादक से सम्पर्क स्थापित कर
सकता है।
2. करेसपॉण्डेंस:
सम्पादक के नाम पत्र (लेटर्स टु एडीटर) संक्षिप्त होने चाहिए (150
शब्दों से अधिक नहीं)।
(अ)
आई जे एम आर के ताजा अंकों में प्रकाशित मौलिक शोध पत्रों पर करेसपॉण्डेंस।
(ब)
स्वास्थ्य विज्ञान में वर्तमान महत्व के एक विषय पर सम्पादक के नाम पत्र।
मैन्यूस्क्रिपट्स(पॉण्डुलिपियां) ई-मेल के माध्यम से प्रेषित की जा सकती हैं और
MS वर्ड में CD में भी प्रेषित की जा सकती है। (हार्ड
कॉपीज़ के अतिरिक्त)